Friday, April 30, 2021

मिल गया सरहद को नया "सुल्तान" मंत्री शाले मोहम्मद तीसरे खलीफा हुए मुकर्रर ! पढ़े पूरी खबर...

पश्चिमी राजस्थान सरहद के सुल्तान गाजी फकीर के इंतकाल के बाद "सरहद" को नया सुल्तान मिल गया है, जी हां नए सुल्तान के रूप में वर्तमान राजस्थान सरकार के केबिनेट एवं अल्पसंख्यक वक्फ मामलात मंत्री एवं गाजी फकीर के बड़े बेटे शाले मोहम्मद को मुकर्रर किया है! पांच दशकों तक हुर मुजाहिद जमात के खलीफा रहे लोक ओर न्यायप्रिय गाजी फकीर के इंतकाल के बाद हुर जमात के रहबर किंगरी हाउस पीर जो गोठ के गद्दीनशील पीर पागारा सिबगतुल्लाह शाह रशीदी की ओर से हुर मुजाहिद जमात हिंद के प्रमुख खलीफा की ताजपोशी फकीर साले मोहम्मद कलर कि मुस्लिम धार्मिक रीति-रिवाजों से की, और जमात के लोगों ने खलीफा साले मोहम्मद के कदम चूम कर उनकी ताजपोशी का सम्मान किया!

गाजी फकीर के पिता राणा फकीर प्रथम खलीफा मुकर्रर हुए थे, अब तीसरे खलीफा साले मोहम्मद मुकर्रर!



 क्या है हुर जमात...

एकल भारत में अंग्रेजों के शासन काल में सिंध क्षेत्र के पीर जो गोठ के प्रथम खलीफा शिबगतुल्लाह शाह रसीदी को अंग्रेज उठाकर ले गए थे, शाह रसीदी को अंग्रेजों से आजाद कराने के लिए हूर जमात का गठन हुआ था, हालांकि प्रथम पीर पागारा आज तक नहीं मिले!

हूर मुजाहिद की गाड़ी पीर की जो गोठ स्थित किंगरी हाउस है! जहां गद्दी नशीन खलीफा पीर पगारा कहलाते है, पीर पागारा जब किंदरी हाउस के बाहर लोगों को दर्शन देने आते

तो वह दृश्य देखने को बनता है, इसी फुल मुजाहिद जमात के हिंद में फकीर साले मोहम्मद कलर को नया खलीफा मुकर्रर किया है!

गाजी फकीर


1फरवरी 1970 में जन्मे साले मोहम्मद गाजी फकीर के बड़े पुत्र हैं, पढ़ाई के साथ-साथ उनकी समाज सेवा और राजनीति में रुचि के कारण वह पंचायत समिति जैसलमेर के प्रधान बने!

उसके बाद जैसलमेर जिला परिषद के जिला प्रमुख बने, 2008 में पहली बार विधानसभा चुनाव जीतकर पोकरण विधानसभा क्षेत्र के विधायक बने , अगले चुनाव 2013 में विधानसभा चुनाव हार गए, मगर 2018 में उन्होंने भाजपा के स्वामी प्रतापपुरी महाराज को नजदीकी कुलबे में में हराकर दूसरी बार विधायक बने! 25 दिसंबर 2018 को राजस्थान सरकार के कैबिनेट मंत्री बने!


सरल और सहज व्यक्तित्व के धनी..

साले मोहम्मद बेहद संजीदा सरल और सहज व्यक्तित्व के धनी हैं, आमजन में काफी लोकप्रिय हैं, सभी धर्मों का सम्मान करना साले मोहम्मद से सीखे!

जैसलमेर में युवा साले मोहम्मद काफी लोकप्रिय हैं!!

CM गहलोत ने विडियो कांफ्रेस करके राज्य के हालात पर समीक्षा के निर्देश दिए !! पढ़े अशफाक कायमखानी..

 


जयपुर।।मुख्यमंत्री शुक्रवार देर रात को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से प्रदेश में ऑक्सीजन, टैंकर, ऑक्सीजन कॉन्सनट्रेटर, रेमडेसिविर, टोसिलीजुमेब दवा सहित अन्य संसाधनों की उपलब्धता को लेकर गहन समीक्षा की। अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे केंद्र सरकार से राज्य के लिए एक्टिव केसों की संख्या के अनुरूप अतिरिक्त ऑक्सीजन एवं दवाओं का आवंटन कराने के लिए निरंतर सम्पर्क बनाए रखें और अपना पक्ष मजबूती के साथ रखें। साथ ही अन्य देशों से भी ये संसाधन जुटाने के लिए मिशन मोड में काम करें। हर व्यक्ति की जीवन रक्षा को ध्यान में रखते हुए ऑक्सीजन और दवाओं की आपूर्ति को लेकर हमारे प्रयासों में कोई कमी नहीं रहे। संकट के इस समय में लाइफ सेविंग ही हमारा एक मात्र ध्येय है। 

                मुख्य सचिव सहित कोविड प्रबंधन में लगे नोडल अधिकारियों से संसाधनों की उपलब्धता को लेकर पूरा फीडबैक मुख्यमंत्री ने लिया तथा प्रयास और तेज करने के निर्देश दिए। जिस तरह से संक्रमण और मृत्यु की दर बढ़ रही है, हमें हर संभावित स्थिति के लिए अभी से तैयारी रखनी होगी, तभी जाकर हम प्रदेशवासियों की जीवन रक्षा के संकल्प में कामयाब हो पाएंगे। बढ़ते हुए संक्रमण के कारण यह अत्यधिक सतर्कता बनाए रखने का समय है। इसके लिए महामारी रेड अलर्ट-जन अनुशासन पखवाड़े की सख्ती से पालना कराएं। 

संक्रमण की गति पर अंकुश लगाने के लिए अनुमत गतिविधियों के अतिरिक्त लोगों के मूवमेंट को कड़ाई से रोकने के निर्देश दिए। कंटेनमेंट जोन एवं होम आईसोलेशन की सख्ती से पालना के साथ ही संक्रमण की रोकथाम के तमाम उपायों को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए। 

             चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए शनिवार से प्रारम्भ होने वाले वैक्सीनेशन कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन की उपलब्धता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस दिशा में केंद्र सरकार से लगातार समन्वय किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन, ऑक्सीजन एवं अन्य संसाधनों की उपलब्धता के लिए चिकित्सा विभाग युद्ध स्तर पर प्रयास कर रहा है।

              मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने जामनगर से पूर्व मे आवंटित 185 मैट्रिक टन ऑक्सीजन का बैकलॉग प्राप्त करने के लिए किए जा रहे प्रयासों तथा राउरकेला एवं पूर्वी राज्यों से ऑक्सीजन के आवंटन की स्थिति में रेलवे एवं वायु सेना के साथ किए जा रहे सम्पर्क के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विदेशों से ऑक्सीजन कॉन्सनट्रेटर एवं अन्य उपकरण की खरीद के लिए गठित समिति निरंतर भारतीय दूतावासों तथा विदेशी कम्पनियों से सम्पर्क कर रही है।

                अतिरिक्त मुख्य सचिव खान एवं पेट्रोलियम सुबोध अग्रवाल ने बताया कि ऑक्सीजन कॉन्सनटेªटर की तत्काल खरीद के लिए चीन, यूएसए, यूके, जापान, रूस आदि देशों में सम्पर्क स्थापित किया गया है। जल्द ही इन देशों से कॉन्सनटेªटर खरीद की निर्णायक स्थिति बन जाएगी।

               केंद्र सरकार के साथ समन्वय देख रहे अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधांश पंत ने बताया कि विदेशों से डोनेशन के माध्यम से प्राप्त रेमडेसिविर में से राजस्थान को उसके एक्टिव केसेज के अनुपात में लगभग 9600 डोज का कोटा आवंटित किया गया है, जो जल्द मिलने की उम्मीद है। साथ ही राज्य सरकार के लगातार प्रयासों से प्रदेश को टोसिलीजुमेब की 340 डोज भी अतिरिक्त आवंटित करने पर भी सहमति व्यक्त की है। 

                  प्रमुख शासन सचिव गृह अभय कुमार ने 3 मई से 17 मई तक लागू होने वाले महामारी रेड अलर्ट जन अनुशासन पखवाडे़ की नई गाइडलाइन के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस गाइडलाइन में आवागमन, विवाह एवं अनुमत गतिविधियों में और सख्ती की गई है। 

                चिकित्सा सचिव सिद्धार्थ महाजन ने बताया कि 8 हजार ऑक्सीजन कॉन्सनटेªटर की खरीद के लिए आदेश जारी कर दिए गए हैं। साथ ही भारत सरकार से इनके आवंटन के लिए भी निरंतर समन्वय किया जा रहा है। उद्योग सचिव आशुतोष एटी ने ऑक्सीजन परिवहन को लेकर किए जा रहे प्रयासों से अवगत कराया। राजस्थान फाउंडेशन के आयुक्त श्री धीरज श्रीवास्तव ने संकट के इस समय में प्रवासी राजस्थानियों से मिल रहे सहयोग के बारे में जानकारी दी। आरयूएचएस के कुलपति डॉ. राजाबाबू पंवार, आरयूएचएस के डॉ. अजीत सिंह ने कोविड प्रबंधन के बारे में बताया। पुलिस महानिदेशक एमएल लाठर, प्रमुख शासन सचिव वित्त अखिल अरोरा सहित कोविड प्रबंधन से जुडे़ अन्य अधिकारी भी वीसी से जुडे़।

Thursday, April 29, 2021

कौन थे "सरहद के सुल्तान" गाजी फकीर !! पढ़े मो: रशीद पोकरण की कलम से...

 *एक सूरज था के तारों के घराने  से उठा* 

 *आंखें हैरान है क्या शख्स जमाने से उठा* 


 *अज़ कलम* ✍️ *मोहम्मद रशीदी जामिया तुर्र रशीद बड़ली पोकरण जिला जैसलमेर राजस्थान* 


 बिला शुबा मौत एक ऐसा फितरी और हकीकी अमल है जिससे किसी इंसान को छुटकारा नहीं 

 *मौत से किसको रुशतगारी है* *आज वह कल हमारी बारी है* *आगाज किसी शै का ना अन्जाम रहेगा। आखिर वही अल्लाह का 1 नाम रहेगा।* 


शायरे मशरिक़ अल्लामा इक़बाल मौत की आलमगीरियत को कुछ इस तरह से बयान करते हुए नजर आते हैं कहते हैं बूएेगुल हों बाग हों या फिर गुलचीन हर एक शै उसी की असीर है। यह रख्ते हस्ती के पुर्जे उड़ाती है तो जिंदगी के शरारों को बुझा कर रख देती है उसी की आंखों में नेस्ती  का जादू है जो फना होजाने का पैगाम देती है और यह कहने को मजबूर कर देती है कि

 *जिंदगी इंसान की है मांनिन्द ए मुर्गे खुशनवा* 

 *शाख पर बेठा कोई दम चहचहाया  उड गया* 

 *आह क्या आऐ ऱियाजे़ दहर में और क्या गऐ* 

 *जिंदगी की शाख से फूले खिले मुरझा गए।* 


 रोजे अव्वल से आज तक लाखों नहीं बल्कि करोड़ों इंसान इस जहांने संन्ग ए खिशत और कुर्राएे अरज़ पर अपने अपने वक्त पर आए और सब के सब अपने अपने वजूद की हस्ती से आजा़द होकर खाक में पिन्हां  हो गए। लेकिन बहुत कम ऐसी शख्सियतें गुज़री हैं जिन्होंने अपनी जिंदगी में बल्कि बाद अज़ मरग भी अपनी शोहरत व नामवरी का आफताब ओजे़ सुरय्या पर कायम रखा। इनहीं कदआवर और बुलंद पाया शख्सियात  में से *हुर्र जमात के अजीम सियासी व समाजी और कौमी पेशवा और कदीम सिंधी रिवायात के मुहाफिज और अमीन जनाब गाजी फकीर साहब* भी थे जो तवील अलालत के बाद अपने हजारों अकीदतमंन्दों व इरादतमंन्दों पैरोंकारों और मुरीदों को दाग ए मुफारक़त देकर अपने आबाई  वतन में हमेशा हमेश के लिए आसूदा ए ख्वाब हो गए। 


 *रंन्गों  का खिरमन सोता है* 

 *बन में चमन सोता है* *कितने ख्वाबों और फूलों का एक अलबेला पन सोता है* 


 बिला शुबाह  उनकी रेहलत व जुदाई ने खित्ता ए मारवाड़ के सियासी हलकों में खुशूशन हुर्र जमात के दरमियान एक ऐसा खला पैदा कर दिया है जिसका बजा़हिर पुर होना नामुमकिन न सही बल्कि मुश्किल जरूर नज़र आता है।

 वह एक अजी़म  समाजी और मुआशरती रहनुमा  होने के साथ-साथ मारवाड़ की सियासत में अपना गैर मामूली असरो रसूख और बुलंद पाया मुकाम रखते थे 

 *यह रूतबा एे  बुलंन्द  मिला जिसको मिल गया।* 

उनकी शख्सियत एक ऐसे पाबा ए गुल  की तरह थी जिसकी महक से दूर-दूर की फिजा़ मुसश्कबार रहती थी। 

बिला शुबा गाजी़ फकीर सियासत  की दुनिया का एक ऐसा मकबूल तरीन नाम था जिसको सदियों तक जमाना याद रखेगा 

 *भुला सकेगा ना मुझको जमाना सदियों तक* 

 *मेरी वफा के मेरे फिकरो फन के अफसाने*

सूबा ए सिंध में वाके पीरगोठ दरगाह शरीफ की कुल 12 चोकियों के 12 खुलाफा में से गाजी़ फकीर जैसलमेर नामी चौकी के एक खलीफा और मुख्या थे । यह चौकियां सिंध बलूचिस्तान और पंजाब के मुख्तलिफ हिस्साें और इलाकों में अब भी मौजूद हैं। 

और दरगाह शरीफ के मुकम्मल इखराजात और इंतिजामात साल भर इनहीं चौकियों के सपुर्द हुआ करते हैं। 

सर जमीने सिंध में *राशिदी खानदान* की ईलमी और दीनी खिदमात किसी भी तरह कम नहीं है। इस सिलसिले का एक-एक फरद दुर्रे शहशवार होता आया है सिंध में  दूसरा खानदान शाजो़ नादिर ही नज़र आएगा जिसने इलम व अदब की इतनी खिदमत की हो 

इलमो अदब  के हर गोशे में इस खानदान नें गोहर पैदा किए। तारीख .सीरत .रिजाल, हदीस फिकह.  लोगत. हिकमत. फलसफा. अदब. और शायरी में मुस्तनद और माने हुए माहिरीन पैदा हुए जिन्होंने अपनी इलमी आबयारी से पूरे सिंध को सेैराब कीया।

 अलावा  अजी़ इस खानदान को सैयद अहमद शहीद रहमतुल्लाह आलेह और शाह इस्माईल शहीद रहमतुल्लाह और उनकी जमात ए मुजाहिदीन की मेज़बानी का एजा़ज भी हासिल है।

 *राशिदी  खानदान* असल में सैयद अली मक्की रहेमाहुल्ला की औलाद में से है। 

मोहम्मद बिन कासिम ने अहदे बनूऊमय्या में जब सिंध का रुख किया और राजा दाहिर की हुकूमत का खातिमा किया तो उनके साथ आने वालों में हजरत सैयद अली मक्की भी थे जिनका सिलसिला ए नसब हजरत इमाम मूसा काजि़म से जा मिलता है जो हजरत इमाम जअफर सादिक के साहिबजादे ओर इमाम जैनुल आबदीन के पडपोते थे। 

 उन्होंने दादू के कोहसतानी  इलाके में सुकूनत इख्तियार की  आपके अखलाफ में लक अली वाले शाह सदरुद्दीन गुजरे हैं जो इस इलाके की निस्बत से लकयारी सादात कहलाए। 

सदरुद्दीन की 15 वीं पुश्त में साईं मोहम्मद बका़ शाह तवल्लुद हुए जो *पट्ट धनी* के तौर पर मारूफ थे। और उनके बड़े साहिबज़ादे सैयद मोहम्मद राशिद को *रोजा धनी* कहा जाता है उनकी वफात हुई तो खानदानी तबर्रुकात तकसीम हुए बड़े साहिबजादे सैयद सिबगतुल्ला शाहे अव्वल को खानदानी दसतार जिसकी निस्बत *सरकारे दो आलम सल्लल्लाहो वाले वसल्लम* से थी वरासत में मिली जबकि दूसरे भाई को झंडा अलम  या परचम इनायत हुआ आज भी जिला मटयारी में मुतअद्दद मकामात पर झंन्ड़़े  वाले राशिदी पीर आबाद हैं।  जिनकी इल्मपरवरी और किताब दोस्ती दूर-दूर तक मशहूर है।

पीर सिबगतुल्ला  शाहै अव्वल की वफात पर उनके फर्जंद साईं गौहर शाहे अव्वल  उर्फ असगर साईं पीर पगारा 2  बने जो *बंगले धनी* कहलाए। उनके बेटे साईं हिज़बुल्ला शाहे मिसकीन  ने तीसरे पीर पागारा का मनसब संभाला उन्हें *तख्त धनी* पुकारा जाता था। और उनकी वफात हुई तो  सिलसिला ए राशिदिया के चौथे पीर साईं अली गोहर शाहे सानी मुकरर हुए जो *मुहाफे  घनी* से मशहूर हुए। 

आपके विसाल पर छोटे भाई साईं अली मरदान शाहे अव्वल जिन्हें *कोट धनी*  कहा जाता था पांचवें पीर पगारा कहलाए। आपकी वफ़ात  हुई तो पीर सैय्यद मोहम्मद सिबगतुल्ला शाहे सानी ने *पग धनी* की ऊरफियत के साथ मन्सब  संभाला और हुरों को मुनज्जम किया अंग्रेजों को चैलेंज किया। जब आप पीर पगारा बने तो आपकी उम्र 12 वर्ष थी और हैदराबाद जेल में फांसी के फंदे को जब चूमा तो जिंदगी की महज 33 बहारें  ही  देखी थीं

 इस जुरअत मंदी और सरफरोशी के बाईस आपको   *सूर्यह बादशाह* भी पुकारा जाता है आपके बड़े साहबजादे ऊर्फ शाह मरदान शाहे सानी ने *छठ्ठ धनी* का लकब पाया ओर सातवें पीर पगारा कहलाए। मौजूदा  पीर पागारा हशतुम पीर सिबगतुल्ला शाहै सोम को *राजा साईं*  से पुकारा जाता है।

पीर सिबगतुल्ला शाह सोम के वालिद ए बुज़रुगवार  मरदान शाह पीर पगारा का शुमार कूचा ए सियासत की उन नाबगारे रोजगार और गोना गो सलाहियतओं की मालिक सियासी व समाजी शख्सियात में होता है जिन्होंने पाकिस्तान की मुलकी सियासत पर निस्फ सदी तक अपने गहरे नुकू़श व असरात छोड़े। हुकूमतें उनके एक इशारे पर बनतीं और गिरती थीं। 

पीराने पागारा के मुरीदीन को *हुर जमात* का नाम दिया जाता है 

मारूफ अदीब मोहम्मद उस्मान ढिप्लाई ने अपनी किताब सांघड़ में लफज़ ए हुर के इखराज की निशान दही इस तरह से की है। 

मैदान ए कर्बला में हजरत हुर ने आखिरी वक्त पर लश्कर ए यजीद को छोड़कर खैमागाह सैय्यदुश्शुहादा का रुख करके अपनी आकिबत को संवार लिया था । 

बिला शुबा हजरत हुर का यह जुरअतमंदआना इकदाम और फैसला था उसी दिन से जुरअतमंदी. बहादुरी और शुजा़अत के माना में लफज ए हुर मुस्तामल  होने लगा। और फिर सीना सिपर मुजाहिदीन हुर कह लाए।

 जमात में अपना एक सिस्टम है माजी़ में तो जमात के छोटे बड़े फैसले दावती किया करते थे दीवती से मुराद वह शख्सियात हैं जिनके यहां पीर पागारा दौरान ए  रूहानी सफर कि़याम किया करते थे। आज भी मुख्तलिफ शहरों में वह लान्डियां या कियामगाहें मौजूद हैं जो पीराने पागारा की आमद पर ही इस्तेमाल होती हैं अलबत्ता उनकी सफाई .मरम्मत और तज़ईन व आराईश साल भर होती रहती है अब भी पीर पागारा के खोलाफा और दरगाह की फैसला कमेटी हूरों के मामलात निमटाते हैं और फैसले पर अमल दर आमद  यकीनी होता है। जमात की एक इसतिलाह *हाथ बंद* भी है यानी तादीबी  कार्रवाई के तौर पर यह सजा़ जब किसी को सुनाई जाए तो उस शख्स से कोई भी हाथ नहीं मिलाता और मुसाफे का ताल्लुक भी खत्म हो जाता है इस गध्धी की एक खुसूसियत मरबूत सिस्टम भी है जो उसे एक दूसरे से समाजी एतिबार से जुड़े हुए रखती है और हरकिसम की मुआशराती बुराइयों से जमात को महफूज भी रखती है। 

इस जमात की एक कदीम रिवायत यह भी रही है कि जब किसी पीर या खलीफे का इंतितिकाल होता है तो फिर तदफीन से पहले ही नया पीर और खलीफा मुनतखब कर लिया जाता है 

बिना बरीं गाजी़ फकीर की रेहलत के बाद हुर जमाअत ने अब ब ईत्तिफाक ए राय ऊनके सबसे बड़े बेटे *जनाब साले मोहम्मद* जो इस वक्त राजस्थान की सरकार में केबिनेट मंत्री भी है .....को अपना नया खलीफा और पेशवा चुन लिया है। उनकी दसतार बंदी भी अमल में आ चुकी है हम उम्मीद करते हैं कि वह भी अपने नामवर वालिद की तरह हुर जमात को और मजबूती बख्शेंगे  उनकी मुकम्मल रहनुमाई और कयादत का हक अदा करेंगे ।

क्यों इतनी खास है "रेमडेसिविर" दवा, जिसे लेने के लिए हर कोई बेताब हैं! पढ़े पूरी खबर...

 क्या आप जानते हैं कि कोरोना की दवा रेमडेसिविर बेहद सस्ते दाम पर देश की जनता को बड़ी मात्रा में बहुत आसानी से उपलब्ध हो सकती है लेकिन बस मोदी सरकार चाहे तो !....


रेमडेसिविर के लिए पूरे देश मे त्राहि त्राहि मची हुई है, लोग किसी भी कीमत पर इसे पाने को आतुर है,मरीज के परिजन इसके लिए किसी नेता अधिकारी के पैर तक पड़ने के लिए तैयार है....


रेमडेसिविर की लागत 1 डॉलर से भी कम है यह मैं नही कह रहा हूँ ।.....यह तथ्य लिवरपूल विश्वविद्यालय में एक वरिष्ठ रिसर्च फैलो एंड्रयू हिल द्वारा किए गए एक अध्ययन में सामने आया है जिन्होंने पाया है कि दवा एक डॉलर प्रति शीशी से कम में बनाई जा सकती है. यानी यदि दो गुना मार्जिन भी जोड़ ले तो बड़ी आसानी से यह इंजेक्शन 250 रू मात्र में एक आदमी को मिल सकता है


जी हाँ !... जिस 1 इंजेक्शन के दाम आप आज पचास हजार तक चुकाने के लिए तैयार है वह सिर्फ ढाई सौ रु कीमत रखता है.......


तो हमे यह मिलता क्यो नही ? यही सवाल आपके दिमाग मे आ रहा है न !


दरअसल रेमडेसिविर का पेटेंट गिलियड साइंस कम्पनी के पास है जो एक अमेरिकन कम्पनी हैं यह कम्पनी महँगी दवाईयों को बेचने में कुख्यात है...... इस रेमेडिसवीर को मूल रूप से इबोला के लिए निर्मित किया गया था.........भारत जेनेरिक दवाओ का बहुत बड़ा निर्माता हैं..... वह रेमडेसिविर भी बहुत आसानी से बना सकता था।...... यदि उसने भारत मे गिलियड साइंस का पेटेंट न स्वीकार किया होता तो !


आपको जानकर बेहद आश्चर्य होगा जब आप यह जानेंगे कि भारत मे रेमडेसिविर का यह पेटेंट गिलियड साइंस कम्पनी को कब दिया गया !......

यह तारीख है 20 फरवरी 2020 !

जी हाँ !....भारत मे कोरोना महामारी शुरू होने से ठीक एक महीना पहले, 


याद है न 22 मार्च 2020 को पहला जनता कर्फ्यू लगा था.....


अब इसमें कांस्पिरेसी ढूंढिए या मत ढूंढिए,  यह तथ्य तो बदलने वाला है नही !......


सब जानते हैं कि जनवरी 2020 में ही चीन में जब यह महामारी फैली थी तब ही इस दवा के टेस्ट कोरोना मरीजो पर कर लिये गए थे...... यानी मोटा मुनाफा कमाने का खेल गिलियड के हाथो में था उसे बस भारत मे पेटेंट हासिल करना था


अगर मोदी सरकार में जरा अकल होती उसने जरा सी भी दूरंदेशी से काम लिया होता तो वह 20 फरवरी 2020 को गिलियड को पेटेंट देती ही नही !......लेकिन फार्मा कम्पनियो को तो आप जानते ही है .....ओर इस सरकार के  बड़बोलेपन को भी.......


एक ओर मजे की बात जान लीजिए...... मोदी सरकार चाहती तो साल भर में इस पेटेंट को भी एक झटके में निरस्त कर सकती थी......आज भी कर सकती है !..


पेटेंट कानून के प्रावधान के तहत, 'कोई देश पेटेंट के मालिक की सहमति के बगैर मैन्युफैक्चरर को किसी खास ड्रग के उत्पादन की अनुमति दे सकता है. सरकार के पास सार्वजनिक हित में पेटेंट को रद्द करने की शक्ति होती है, उसे बस इतना करना होगा कि पेटेंट धारक को एक बार सुनने का अवसर दें और आधिकारिक राजपत्र में उस आशय की घोषणा करें और उसके बाद पेटेंट को निरस्त माना जा सकता है,"


धारा भी बता देता हूँ ....भारत के पेटेंट क़ानून के क्लॉज 92 के अनुसार भारत इस दवा के उत्पादन की इजाज़त भारतीय कंपनियों को दे सकती है. भारत के जेनेरिक दवा उत्पादकों के पास आसानी से इतनी क्षमता है कि वो रेमडेसीविर का जेनेरिक वर्जन का उत्पादन कर सकें.


अब आप पूछेंगे कि अब तक किसी ने इसकी मांग क्यो नही की !.......


तो भाई माँग भी की.... लेकिन आपके बिकाऊ मीडिया चैनलों ने जो फार्मा कम्पनियो की दलाली करते हैं उन्होंने यह सारे फैक्ट आपको एक बार भी बताना जरूरी नही समझे .....


भारत के एक संगठन  Cancer Patients Aid Association CPAA ने फरवरी 2020 में ही कहा था कि गिलियड साइंस को इस  दवा को दिए गए पेटेंट को नवीनता और आविष्कारशीलता की कमी के कारण निरस्त किए जाने की आवश्यकता हैं, सीपीएए ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह एक रेमेडिसविर कंपाउंड में गिलियड को दिए गए पेटेंट को रद्द करे।


CPAA ऐसे मुकदमे पहले भी लड़ चुका है है.CPAA ने संशोधित पेटेंट अधिनियम (2005) के तहत देश की पहली फार्मा पेटेंट मुकदमेबाजी में एक केंद्रीय भूमिका निभाई थी जिसमें नोवार्टिस की रक्त कैंसर दवा Glivec शामिल थी।


Doctors Without Borders  जैसे प्रतिष्ठित समूह ने भी रेमडेसिवीर पर गिलियड के पेटेंट का विरोध किया था इस समूह का कहना है कि दुनियाभर में आई स्वास्थ्य इमरजेंसी के बीच इस तरह के लाइसेंसिंग समझौते स्वीकार्य नहीं किये जाने चाहिए......


लेकिन चाहे लाखो लोग मर जाए किसे फिक्र है !.....न फार्मा कम्पनियो को फिक्र है ......न सरकार को फिक्र है !.... न मीडिया को फिक्र है....


वैसे भी जो अंधी बहरी गूँगी जनता जो अपने हक के लिए आवाज नही उठा सकती उसका मरना ही श्रेयस्कर होगा !.....


✍️ Girish Malviya Reborn

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